09/09/2024

Parenting Tips – इन 6 तरीको से आप बन सकते हैं बच्चो के दोस्त

how to handle child behavior Child-Psychology khabar chauraha

How to handle child anger

Child Psychology बहुत मुश्किल सब्जेक्ट है। आजकल के समय में जब इंटरनेट का युग है, माता पिता दोनों कार्य करते है व संयुक्त परिवार टूट कर एकल परिवार होने लगे है तो बच्चों का पालन पोषण और उनकी समझ (Child Psychology)भी बहुत कठिन होता जा रहा है। बच्चे जिद्दी होते जा रहे है ऐसे मे यदि उनसे कोई काम कहे, कहीं जाने के लिए मना करें, अधिक फास्ट फूड खाने से मना करने, धनराशि देने में आनाकानी करें, मोबाईल के सीमित उपयोग के लिए या पढ़ाई के लिए बात करें तो गुस्सा करने लगते है। कभी कभी इनका व्यवहार चिड़चिड़ा भी हो जाता है, पढ़ाई में भी पिछड़ने लगते है, ऐसे में माता – पिता सोचते है कि अब क्या किया जाए। आपके साथ भी ऐसा ही हो रहा है तो कुछ युक्तियाँ उपयोगी होंगी जिन्हे आप अपने बच्चे के साथ व्यवहार में ला सकते है।

child psychology khabar chauraha
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How To manage child`s anger 

  1. हर समय उसकी जिद पूरी ना करें उसे प्रेम से समझाए कि हर समय हर जिद पूरी नहीं की जा सकती है। यदि वह कोई वस्तु माँगता है तो उस वस्तु या खिलौने का महत्त्व समझाए, आवश्यक होने पर व उचित समय पर ही दिलाई जाएगी। कुछ समय का बाद दिलाने या कोई चुनौती पूरी करने पर पुरस्कार स्वरूप दिलाने का विश्वास दिलाए।
  2. कई बार बच्चे कोई भूल करने के बाद अपनी भूल भी नहीं मानते है, उसे कुछ कहे तो भी गुस्सा करते है ऐसे में उसे क्षमा (सॉरी) कहने की बजाए गलती स्वीकार करना व क्षमा का अनुभव करना सिखाएं। यदि आप उसे (सॉरी) कहने के लिए कहेंगे तो वो (सॉरी) तो बोल देगा परंतु उसे अपनी गलती का अनुभव नहीं होगा जिससे वह न तो (सॉरी) का महत्त्व समझेगा और न ही गलती का। एक ही भूल को बार बार ना करने के लिए भी समझाएं।
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बच्चो के साथ बच्चा बनने की ज़रूरत नहीं 

  1. यदि वह जोर से चिल्लाता है तो आप भी उसके साथ जोर से ना चिल्लाएं, ऐसा करने से बात बिगड़ सकती है व वातावरण भी दूषित होगा। बच्चे का आत्मविश्वास कम होगा और आपके व उसके बीच संवाद कम होगा जो नुकसानदायक हो सकता है। बच्चे व माता-पिता के बीच संवाद अति आवश्यक है इससे दोनों के बीच विश्वास बढ़ता है जो किसी भी रिश्ते के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।
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कहीं बच्चा सिर्फ आपका अटेंशन तो नहीं चाहता 

  1. ऐसा देखा गया है कि कई बार बच्चा अपनी और ध्यान आकर्षण के लिए भी क्रोध करता है। इसका अर्थ है कि आप उसकी बातों को अनदेखा करते हो। कई बार माता-पिता दोनों इतने व्यस्त होते है कि बच्चे की और उनका ध्यान कम हो जाता है। ऐसे में हमें इस बात का ध्यान रखना है कि बच्चा अकेला ना महसूस करें, उसकी बातों या व्यवहार पर ध्यान दें, उसकी भी आवश्यक बात सुनना आवश्यक है, उसे सुरक्षित व  अपनापन महसूस करवाएं। आपको उससे लगाव व प्रेम है यह दिखाना भी आवश्यक है।

सिर्फ मारपीट हर बात का सल्यूशन नहीं 

Try saying, “It’s OK to feel angry but it’s not OK to hit

  1. कभी बच्चा जिद या क्रोध में बाहरवालों के सामने भी गलत व्यवहार करने लगता है, उसे लगता है कि यही सही मौका है जब वो अपनी जिद या बात मनवा सकता है तो ऐसे में धैर्य रखे। उसे अलग लेजा कर प्रेम से समझाए न माने तो कठोर शब्दों में चेतावनी दी जा सकती है परंतु यह ध्यान रखे कि मारना/पीटना नहीं है।
  2. यदि साथी बच्चों के साथ मारपीट करता है ऐसे में बदले में उसे मारना गलत है, उसे प्रेम से समझाये और रिश्ते व मित्रता का अर्थ बताए। समाज व परिवार में सहयोग व सम्मान की भावना का महत्त्व बताए। बच्चों के सामने कभी भी अन्य व्यक्ति की बुराई न करें चाहे वो आपके रिश्तेदार हो या मित्र या पड़ोसी हों।
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उनके सामने अपने एक्शन्स पर ध्यान दें 

  1. बच्चे सुनने से ज्यादा देखने से सीखते है अतः स्वयं भी उसके सामने ऐसा कोई कार्य ना करें जो गलत हो। माता-पिता दोनों इस बात का ध्यान रखे कि बच्चों के सामने झगड़ा न करें, अपशब्दों/गलत शब्दों का उपयोग न करें, एक दूसरे की कमिया न गिनाए न ही बुराइयाँ ही करें। इससे बच्चों में आपके प्रति सम्मान काम होगा फिर वो आपका कहना मानना छोड़ देगा। ऐसे में कई बार बच्चे बाहर किसी को अपने शुभचिंतक के रूप में देखने लगते है फिर बच्चा आपके नियंत्रण में रह कर उनके नियंत्रण में रहने लगेगा।
  2. मोबाईल का सीमित उपयोग करें। यदि आप उसमे पढ़ने की आदत विकसित करना चाहते है तो स्वयं भी उसके सामने कभी कभी पुस्तक पढ़ें जिससे वह पढ़ाई का महत्त्व समझेगा। उसको ये समझ आएगा कि पढ़ाई करना जीवन मे बहुत आवश्यक है, “पुस्तके सबसे अच्छी मित्र होती है” ये बात जीवन मे सफलता के लिए महत्त्वपूर्ण है।

Learn how to say no 

  1. बच्चे को कभी कभी ना कहना सीखे व उसे भी ना स्वीकार करना सिखाएं। यदि माता ने ना कह दी तो पिता को ना ही कहना चाहिए और यदि दादा – दादी या नाना – नानी साथ रहते है तो परिवार में सबका एक ही निर्णय होना चाहिए जिससे बच्चे को लगे कि यह निर्णय ही उसके लिए सही है व धीरे धीरे उसके व्यवहार में परिवर्तन होने लगेगा। कई बार माता के मना करने पर बच्चा पिता के पास या दादा/दादी-नाना/नानी के पास चला जाता है, यदि वो हाँ कर दे तो फिर स्थिति बिगड़ सकती है बच्चे के मन में जो मना करगा वो बुरा हो जाएगा। लाड़/प्यार एक सीमा तक ठीक है लेकिन बच्चे की आदते/व्यवहार/संस्कार की बात हो तो परिवार में सभी को एकमत होन आवश्यक है।
  2. बच्चों को धन का महत्त्व सिखाएं जिससे वह खर्चे पर नियंत्रण करना सीखेगा। उसे बताया जाए की धन कमाना कितना कठिन व महत्त्वपूर्ण है। फिजूल खर्ची ठीक नहीं है इससे कई गलत /अनावश्यक चीजों पर खर्च हो जाते है फिर आवश्यक चीजों को खरीदने में कठिनाई या विलंब हो सकती है। धन को कमाना /खर्च करना जितना जल्दी बच्चा सीखेगा उतना ही जल्दी वह जीवन में सफल व्यक्ति बनेगा। यह समझ आने पर वह जिद व क्रोध करना छोड़ देगा।

Conclusion 

सभी बच्चे एक से नहीं होते है अपने परिवार, वातावरण, धर्म/ शिक्षा आदि को ध्यान में रख कर बच्चों के साथ व्यवहार करना चाहिए। आशा ही नहीं विश्वास है उपरोक्त युक्तियाँ आपके लियें उपयोगी होंगी, बहुत सोच विचार कर अपने बच्चों को प्रेम पूर्ण वातावरण में पालन पोषण करें। उन्हे एक सहयोगी, सौम्य, विनम्र, हसमुख, संस्कारी, राष्ट्रभक्त व सफल व्यक्ति बनाने का प्रयास करें।

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