Merry Christmas Movie Review
“Merry Christmas” का हर सीन सस्पेंस से भरा !
Merry Christmas Movie Review – श्रीराम राघवन जैसे डायरेक्टर का ज़िक्र जब भी आता है, हर सिनेमा लोवर की उम्मीदें बढ़ जाती हैं और उसका कारण भी है| उनकी कुछ पिछली फिल्मों पे नज़र डाली जाये तो ऐसी उम्मीद होना लाज़मी है| Movie agent vinod, Badlapur या फिर Andhadhundh , ये वो फिल्मे हैं जिन्होंने एक स्टैण्डर्ड सेट कर दिया है। अब उनकी अगली फिल्म से उसी benchmark कि उम्मीद होना गलत नहीं है| लेटेस्ट रिलीज़ “Merry Christmas” से भी ऑडियंस को ऐसी ही उम्मीद थी और उसका कारण था कि इस बार फिल्म में साउथ और बॉलीवुड का mashup था| वो सस्पेंस और थ्रिलर बनाने में माहिर हैं और “Merry Christmas” में भी ऐसा होता है ? हाँ या न आइये जानते हैं|
Merry Christmas कि कहानी
अंग्रेजी में एक कहावत है “ The night is darkest just before the dawn.” मतलब कि रौशनी होने से पहले सबसे ज्यादा अँधेरा होता है, और फिर आता है उजाला| ऐसे ही ये कहानी भी एक रात की है| कहानी एक ऐसी ही अंधेरी काली रात के बारे में हैं, जब दो अजनबी मारिया (कटरीना कैफ) और अल्बर्ट (विजय सेतुपति) एक दूसरे से टकराते हैं। ये इत्तेफाक ही है कि दुनिया के लिए साल की सबसे चमकदार क्रिसमस की रात ही मारिया और अल्बर्ट की ज़िन्दगी कि एक काली रात है| जिस शहर कि ये कहानी है वो है “Mumbai” या “Bombay” या बम्बई, जो भी आप कहना चाहें|
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फिल्म की शुरुआत बिलकुल इसके ट्रेलर की तरह ही होती है| स्क्रीन दो हिस्सों में बंटी हुई है और दो लोग मिक्सर ग्राइंडर का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके बाद होती है फिल्म की शुरुआत जिसमें विजय सेतुपति 7 साल बाद अपने घर लौटते हैं| यहाँ उनकी मुलाक़ात उनके पड़ोसी से होती है जो है टीनू आनंद |
विजय ये डिसाइड करते हैं कि वो इस बार क्रिसमस celebrate करेंगे और ये सोच के वो एक resturant में जाते हैं और वहां उनकी मुलाक़ात होती है कटरीना कैफ़ से जो अपनी बेटी के साथ वहां बैठी थीं| विजय को पहली ही नज़र में कटरीना से प्यार हो जाता है और वो उसके पीछा करने लग जाते हैं, वो जहाँ भी जाती है विजय उसके पीछे जाते हैं| थोड़ी देर बाद वो दोनों साथ में क्रिसमस celebrate करने लग जाते है, सब अच्छा चलता है पर सिर्फ तब तक, जब तक वो कैटरीना के घर पर हुए एक अपराध का हिस्सा नहीं बन जाते. यहीं से शुरू होता है सफ़र twists-n-turns का |
एक्टिंग
इस फिल्म कि सबसे शानदार चीज़ है विजय सेतुपति कि एक्टिंग| उनके किरदार का नाम है “Albert” और उन्होंने कमाल का काम किया है| अपने अंदाज से एक बार फिर वो लोगों का दिल जीतने में कामयाब रहने वाले हैं। उनके कई दमदार डायलॉग्स हैं जो ऑडियंस को काफी पसंद आएंगे. विजय दरअसल विलन वाले अंदाज़ के लिए बॉलीवुड में जाने जाते हैं, पर इस फिल्म में उन्होंने लीक से हटकर, रोमांटिक अंदाज़ जो दिखाया है वो आपका बौहुत इम्प्रेस करेगा|
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अब अगर आप सोच रहे हैं कि कैटरीना फिर क्या कर रही हैं? या फिर, उनके खाते में कुछ करने के लिए है या नहीं, तो आपको बता दें, वो भी अपनी हर नयी फिल्म के साथ अपने स्किल्स को शर करती जा रही हैं| कैटरीना का काम, उनका सस्पेंस और थ्रिल परोसने का तरीका आपको आपकी कुर्सी से हिलने नहीं देगा| आपको शायद पता न हो पर इस फिल्म के 2 versions हैं एक Tamil एंड एक Hindi- इस फिल्म के हिंदी वर्जन में राधिका आप्टे, संजय कपूर, विनय पाठक और टिनू आनंद जैसे एक्टर्स भी हैं।
डायरेक्शन (Merry Christmas Movie Review )
जैसा कि शुरुआत में बताया, स्क्रीन का 2 हिस्सों में बंटे हुए दिखना, ये दरअसल अल्बर्ट और मारिया की दो अलग-अलग दुनिया के प्रतीक हैं, जो एक साथ आते हैं, पर डायरेक्टर साहब ने इस बार अपने characters को establish करने में समय थोड़ा सा ज्यादा ही ले लिया | कहानी का फर्स्ट हाफ जहाँ स्लो है वहीँ एक दिक्क़त और है, स्क्रीनप्ले के लेवल पर कई सारे सवालों का जवाब आपको मिलेगा नहीं और ये अनसुलझे सवाल आपको परेशान करेंगे | इसे देखने के बाद आप बोर हो सकते हैं और ऐसा इसलिए क्योंकि मेकर्स ने पहले हॉफ में काफी कुछ छुपाया हुआ है।
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फिल्म का सबसे दमदार पार्ट है फिल्म का सेकंड हाफ और ये कहूं कि आखिरी का आधा घंटा तो गलत नहीं होगा | दूसरे भाग की कहानी में हर 10 मिनट में नया मोड़ देखने को मिला है। हर बार कि तरह श्रीराम राघवन का डायरेक्शन सधा हुआ है, जो आपको हिलने नहीं देगा | डैनियल बी जॉर्ज का बैकग्राउंड स्कोर और मधु नीलकंदन का कैमरा नॉस्टैल्जिया के साथ-साथ जरूरी सस्पेंस बनाए रखता है | ये 2 चीज़ें किसी भी सस्पेंस फिल्म का बैकबोन होती हैं और इनके साथ कोई compromise नहीं हुआ है |
Why to watch “Merry Christmas”
अगर फर्स्ट हाफ को ignore कर दें तो ये फिल्म इसके सेकंड हाफ के लिए, ख़ासकर अपने पुलिस स्टेशन के सीन के लिए ज़रूर देखनी चाहिए क्यूंकि यहीं पे कहानी अपने क्लाइमेक्स तक आती है. फिल्म के सेट को बनाने में काफी मेहनत की गई है, जिसे देखने के बाद आपका भी दिल खुश हो जाएगा। ख़ास बात ये भी है कि इस फिल्म में आपको 80’s या 90’s के सीन्स भी दिखाए गए है।
अक्सर इस तरह कि फिल्मों में गानों का स्कोप कम होता है पर इस फिल्म कि बात भी ख़ास है, इसके गाने भी मिस करने लायक नहीं हैं क्यूंकि फिल्म के गानों को कहानी के साथ एकदम जोड़ दिया गया है, जिसकी वजह से आप इन गानों को ignore नहीं कर पाएंगे।
कमज़ोर कड़ी
फिल्म देखने के बाद कहीं न कहीं ये लगता है कि क्लाइमैक्स और भी अच्छा हो सकता था। जिस हिसाब से फिल्म का “The End” हुआ, ज़रा अधूरा अधूरा सा लगा. ऐसा लगा कि बस अब जल्दी जल्दी सब समेटना है.फिल्म कि कहानी कई सारे सस्पेंस और ट्विस्ट एंड टर्न्स के बाद भी काफी प्रेडिक्टेबल थी, जिसकी वजह से फिल्म थोड़ी कमजोर लगी।ओवरआल इस फिल्म को अगर रेटिंग देनी हो तो “Khabar Chauraha” इस फिल्म को देगा 3.5 स्टार्स.