Parenting Tips for New Parents
बच्चे घर, परिवार, या एक्सटेंडेड रिश्तेदारी, दोस्ती का हिस्सा होते ही हैं। इसलिए बतौर अभिभावक भी
आपको चाहिए कि उन्हें बताएं, उन्होंने परिवार में जन्म लिया है और अब उनके पास चॉइस नहीं है
कि वो किसी से मिलना चाहते हैं या नहीं। किसी से मिलना उन्हें पसंद हो सकता है, किसी से नहीं।
.कोई उनका फेवरेट हो सकता है, कोई नहीं। लेकिन घर का बच्चा होने के नाते भी उनकी जिम्मेदारी है
कि सभी से मिले जुले।
हर पेरेंट/अभिभावक की भी बच्चों को उनकी सोशल रिस्पांसिबिलिटी के बारे में विस्तार से समझाना
चाहिए।(Parenting Tips for New Parents)
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बच्चे पेरेंट्स को देखते हैं
1) क्योंकि पहले बच्चे आपके एक्शन देखते हैं। आप क्या और क्यों कर रहे हैं, पहले बच्चे वो जानना
चाहते हैं। इसलिए उनके सामने जेनुइन रहिए, शुगर कोटेड नहीं। मसलन आपको अपने बड़ो की कोई
बात नहीं पसंद आ रही है, और आप वो काम नही करना चाहते, फिर भी कर रहे हो तो आप अपने
बच्चों को बताइए कि आपका मन नहीं है, और क्योंकि आपके सामने आपके बड़े हैं या अपने हैं, तो
आदर स्वरूप आप वो काम कर रहे हैं। इससे आपको सिखाना नहीं पड़ेगा, बच्चों को लगेगा अपनो की
बात नापसंद होते हुए भी घर परिवार में कभी कभार सबका मन रखना कोई बुरी बात नहीं।
बच्चो को बच्चा न समझे
2) सोशल रिस्पांसिबिलिटी में घर की जिम्मेदारियां भी आती हैं। जैसा कि मैंने पहले बताया था कि
बच्चे को “बच्चा है” कहकर किनारा न करें। घर उसका भी है, उसकी भी जिम्मेदारियां हैं बेशक छोटी
ही क्यों न हो, इस बात का अहसास आपको शुरू से करवाना चाहिए। घर में एक कोना या कमरा
उनको डेडिकेड करने के अलावा आप उनके रूटीन में उनकी जिम्मेदारियों का चार्ट बना कर उन्हें
समझा सकते हैं, कि ये सब आपको रोज करना ही करना है। काम उम्र या उनकी क्षमता के हिसाब से
दे सकते हैं। उन्हें समझाएं कि घर सबका है और सब लोग कुछ न कुछ काम में योगदान देते हैं, और
मिल जुल कर ही ये गाड़ी चलती है।
बच्चो को रिश्तें समझाएं
3) उनको हर रिश्ते के बारे में बताए, उनसे सबके बारे में बात करें, सभी रिश्तेदारों के अपने स्ट्रगल हैं,
आप उन्हें बच्चों के साथ शेयर कीजिए, जिससे उन्हें रियल लाइफ में अपने ही लोगों से प्रेरणा मिलेगी
और उनके प्रति आदर बढ़ेगा। जिनसे बच्चे मिल नहीं पाते ज्यादा उनके बारें में राय बच्चे आपकी
बातों से ही बनाते हैं तो आपको उन सभी के बारे में भी बात करनी चाहिए, ऐसे हमें क्या लेना देना
वाला भाव बिलकुल न पैदा करें, ये वाला भाव बेड़ा गर्क कर देता है पर्सनेलिटी का।
अथॉरिटी पेरेंट्स के पास हो
4)बच्चे को कोई भी एलिमेंट सिखाने के लिए जरूरी है कि बच्चा आपकी बात को महत्व दे। बच्चों
को क्लियर कट इंस्ट्रक्शन बहुत अच्छे से समझ आते हैं। अथॉरिटी को लेकर कभी कोई कंफ्यूजन न
पैदा करें, ना होने दें। अथॉरिटी हमेशा पेरेंट्स के पास ही होनी चाहिए।
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घर में नियम ज़रूरी है
5) कुछ पावर स्ट्रगल जो रोज होते हैं, जैसे फोन देखना, जंक फूड, टीवी देखना तो उस चीज को लेकर
क्लियर रूल्स बनाएं और हर हाल में वो रूल्स आप भी मानें और बच्चे को फॉलो करने को कहें। कोशिश कीजिए बच्चे के सामने जितना हो सके जो कहें उस बात पर अमल करें। एक बार बात खत्म करने के लिए कुछ भी न बोलें क्योंकि, ये वाला तरीका कुछ समय के लिए काम करता है। अमूमन देखा गया है कि ऐसा करने से बच्चे फिर आपकी किसी भी बात को सीरियसली नहीं लेते।
सोशल रिस्पांसिबिलिटी लेना सीखना बच्चे को भीतर से मजबूत पर्सनलिटी बनाता है, ये पर्सनेलिटी का
मेजर एस्पेक्ट है। यह एस्पेक्ट आने वाले समय में बच्चों में होने वाली सबसे बड़ी बीमारी डिप्रेशन से
कोसों दूर रखेगा। इस एलिमेंट में बहुत सारी एक्सरसाइज और बिंदु हैं, इसके बारे में और ज्यादा
जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध है। वैसे पारंपरिक पेरेंटिंग में सबसे मजबूत हिस्सा इसी का होता था,
जो मॉडर्न पेरेंटिंग में लगभग गायब है।
Author – Gunjan Jhajharia