Rohit Shetty Interview फिल्म निर्माता रोहित शेट्टी ने बताया है कि कैसे उन्होंने कम उम्र में चुनौतियों का सामना किया और अपने पिता की मृत्यु के बाद अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए कड़ी मेहनत की। रोहित ने यह भी खुलासा किया कि कैसे मुंबई ने उन्हें बहुत सी चीजें सिखाईं और कहा कि सपनों के शहर में लोगों की कड़ी मेहनत करने की भावना अलग है।
44 साल में हो गई थी पिता की डेथ
Rohit Shetty Interview – भारती सिंह और हर्ष लिम्बाचिया के साथ इंटरव्यू में, रोहित शेट्टी ने कहा कि वह सांताक्रूज़ में अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए सुबह 5:45 बजे की लोकल ट्रेन पकड़ते थे। “जब हम सांताक्रूज़ में रहते थे तब मेरे पिताजी का निधन हो गया और माँ की बचत ख़त्म हो गई और इसलिए हम अपनी दादी के घर दहिसर चले गए। मुझे कभी समझा नहीं आया कि मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है. हमने हमेशा संघर्ष किया और कड़ी मेहनत की। और मैं स्ट्रीट स्मार्ट था और मैंने ये चीजें तब सीखीं जब मैं मुंबई के कारण बहुत छोटा था।”
शेट्टी ने किया था 700 से ज़्यादा फिल्मो में काम
रोहित शेट्टी के पिता खुद भी हिंदी फिल्मो के जानेमाने खलनायक थे, जो स्टंट कलाकार भी थे। जिनका नाम मुद्दु बाबू शेट्टी (MB Shetty) था। रोहित शेट्टी के पिता का निधन 23 जनवरी 1983 को हो गया था। शेट्टी ने 700 से ज़्यादा फिल्मो में काम किया था।
READ MORE Top 5 Movies for Business Owners – पैसो वालो की मूवी
रोहित शेट्टी ने इंटरव्यू में आगे कहा कि अगर उनका बेटा अभिनेता बनना चाहता है तो उसके लिए आम जनता के साथ समय बिताना जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘अगर आप एक्टर बनना चाहते हैं तो हिंदी भाषा पर पकड़ होना जरूरी है।आपको भारत की नब्ज़ पकड़नी ज़रूरी है।’
रोहित ने 17 साल में किया काम शुरू
रोहित शेट्टी का जन्म 14 मार्च 1974 को हुआ था। रोहित ने अपनी पहली फिल्म 17 साल की उम्र में ही कर ली थी, फिल्म थी एक्टर अजय देवगन की फूल और कांटे। रोहित की पहली फिल्म भी अजय देवगन के साथ ही थी। फिल्म का नाम था ज़मीन।
READ MORE – Top 5 Hindi OTT Web series in 2023 – मनोरंजन का साल था 2023
Rohit Shetty Interview me आगे कहा, “मैं यहीं पैदा हुआ और पला-बढ़ा हूं। एक चीज़ जो नहीं बदली है वह है मुंबई के लोगों की भावना। यह कुछ अलग है, जब भी मैं मुंबई पहुंचता हूं, तो चिंता का स्तर बढ़ जाता है और मैं सोचता हूं कि ‘मैं काम करना चाहता हूं।’ आप कितना भी कहें, ‘आज मैं आराम करूंगा’, आप एक दिन से ज्यादा खाली नहीं बैठ सकते और यही कारण है कि शहर प्रगतिशील है।’
उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे लोग शहर में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।
फिल्म निर्माता ने आगे कहा, “मैं उन लोगों के बारे में सोचता हूं क्योंकि मैं वहां से आता हूं। बड़े लेवल पर मैं ज्यादा जानता नहीं हूं क्योंकि मुझे घबराहट होती है। मतलब वो शो मुझे जमता नहीं है।”