21/11/2024

वास्तु में नार्थ ईस्ट के फायदे और नुकसान – 8 Vastu Tips For North East

vastu tips for north east

नॉर्थ-ईस्ट दिशा का महत्व वास्तु शास्त्र में

Vastu Tips For North East – वास्तु शास्त्र भारतीय वास्तुकला का प्राचीन विज्ञान है, जो घर और भवनों की रचना और ऊर्जा के संतुलन को सुनिश्चित करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक दिशा का अपना महत्व होता है और नॉर्थ-ईस्ट (पूर्वोत्तर) दिशा का विशेष स्थान होता है। यह दिशा घर के समग्र स्वास्थ्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

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Vastu में North East का महत्व

  1. पवित्रता और स्वच्छता: पूर्वोत्तर दिशा को सबसे पवित्र और स्वच्छ दिशा माना जाता है। इसे घर का सिर यानी मुख्य दिशा भी कहा जाता है। यह दिशा भगवान की दिशा मानी जाती है और इस दिशा में पूजा स्थल होना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
  2. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: यह दिशा सूर्योदय की दिशा है, जहां से सूर्य की पहली किरणें आती हैं। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो पूरे घर को ऊर्जावान और सकारात्मक बनाए रखता है।
  3. स्वास्थ्य और मानसिक शांति: वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूर्वोत्तर दिशा में निर्मित कमरे मानसिक शांति और स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। यहां योग, ध्यान या अध्ययन कक्ष बनाने से मानसिक शांति और एकाग्रता में वृद्धि होती है।
  4. वृद्धि और समृद्धि: पूर्वोत्तर दिशा का सीधा संबंध वृद्धि और समृद्धि से है। इस दिशा में खुली और स्वच्छ जगह रखने से आर्थिक समृद्धि और परिवार के सदस्यों की प्रगति होती है।

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North East दिशा के लिए वास्तु टिप्स

  1. स्वच्छता बनाए रखें: Vastu Tips For North East -पूर्वोत्तर दिशा को हमेशा स्वच्छ और अव्यवस्था रहित रखें। यह दिशा गंदगी और अनावश्यक वस्तुओं से मुक्त होनी चाहिए। स्वच्छता और साफ-सफाई इस दिशा में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित करती है।
  2. पानी के स्रोत: इस दिशा में पानी के स्रोत जैसे फाउंटेन या जलकुंड रखना शुभ माना जाता है। यह घर में धन और सुख-शांति की वृद्धि करता है। पानी की प्रवाहमान ऊर्जा आर्थिक समृद्धि को आकर्षित करती है।
  3. प्राकृतिक रोशनी: इस दिशा में अधिक से अधिक प्राकृतिक रोशनी आने दें। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। खिड़कियों और दरवाजों को इस दिशा में खुला रखें ताकि सूर्य की किरणें सीधे अंदर आ सकें।
  4. हल्के रंगों का प्रयोग: इस दिशा में हल्के और शांत रंगों का प्रयोग करें। यह मानसिक शांति और सकारात्मकता को बढ़ावा देता है। सफेद, हल्का पीला, और हल्का नीला रंग इस दिशा के लिए विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  5. भारी वस्तुओं से बचें: इस दिशा में भारी वस्तुएं या फर्नीचर न रखें। इससे ऊर्जा का प्रवाह बाधित होता है। भारी वस्तुओं की अनुपस्थिति ऊर्जा के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करती है।

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वास्तु में North East दिशा का महत्त्व

वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो भवन निर्माण और वास्तुकला में दिशाओं और ऊर्जा के प्रभाव को समझता है। इसमें दिशाओं का बहुत बड़ा महत्व है, और हर दिशा का अपना विशिष्ट प्रभाव होता है। उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) को वास्तु शास्त्र में सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। इसे देवताओं की दिशा भी कहा जाता है और इसे शुभ और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। आइए, सरल हिंदी में समझें कि उत्तर-पूर्व दिशा का वास्तु में क्या महत्व है।

  1. सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत: उत्तर-पूर्व दिशा को सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। यह दिशा सूर्य की पहली किरणों को ग्रहण करती है, जो घर में सकारात्मक ऊर्जा और प्रकाश का संचार करती हैं। यह दिशा घर के निवासियों के जीवन में खुशी, शांति और समृद्धि लाने में सहायक होती है।
  2. पूजा स्थल के लिए आदर्श: उत्तर-पूर्व दिशा को पूजा और ध्यान के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस दिशा में पूजा स्थल बनाने से घर में शांति और पवित्रता बनी रहती है। यह दिशा भगवान के निवास की दिशा मानी जाती है, इसलिए यहाँ पूजा स्थल बनाना अत्यंत शुभ होता है।
  3. स्वच्छता और हल्केपन का संकेत: उत्तर-पूर्व दिशा में स्वच्छता और हल्केपन का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दिशा में भारी वस्तुएं या फर्नीचर नहीं रखना चाहिए क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में बाधा उत्पन्न कर सकता है। इस दिशा को साफ और खुला रखने से घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  4. जल तत्व का महत्त्व: उत्तर-पूर्व दिशा को जल तत्व से जोड़ा जाता है। इस दिशा में पानी के स्रोत, जैसे कि जलकुंड, फव्वारा या जलाशय बनाना शुभ माना जाता है। यह घर में समृद्धि और धन के आगमन को बढ़ाता है।
  5. बच्चों के अध्ययन कक्ष के लिए उपयुक्त: उत्तर-पूर्व दिशा बच्चों के अध्ययन कक्ष के लिए भी आदर्श मानी जाती है। इस दिशा में अध्ययन कक्ष बनाने से बच्चों की एकाग्रता और अध्ययन में रुचि बढ़ती है। यह दिशा उनकी शिक्षा और बौद्धिक विकास के लिए अनुकूल होती है।

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  6. स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती: उत्तर-पूर्व दिशा का स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस दिशा में हल्का और हवादार वातावरण बनाए रखने से घर के निवासियों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है। यह दिशा मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।
  7. आर्थिक समृद्धि: वास्तु शास्त्र में उत्तर-पूर्व दिशा को आर्थिक समृद्धि और धन के आगमन से भी जोड़ा गया है। इस दिशा को साफ और सक्रिय रखने से घर में धन की वृद्धि होती है और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
  8. मेहमानों के लिए स्वागत कक्ष: उत्तर-पूर्व दिशा मेहमानों के स्वागत कक्ष के लिए भी आदर्श मानी जाती है। इस दिशा में स्वागत कक्ष बनाने से मेहमानों का स्वागत और आतिथ्य सत्कार बढ़िया होता है। यह घर में खुशियों और सामाजिक संबंधों को मजबूत करता है।

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निष्कर्ष: उत्तर-पूर्व दिशा का वास्तु में अत्यधिक महत्व है। इसे शुभ और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। इस दिशा में स्वच्छता, पूजा स्थल, जल स्रोत और बच्चों के अध्ययन कक्ष बनाकर हम अपने घर में सुख, शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि को बढ़ा सकते हैं। वास्तु शास्त्र के इन सिद्धांतों का पालन करके हम अपने जीवन को और भी बेहतर और सुखमय बना सकते हैं।

 

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